Q.1.जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर थे?
जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव थे। पार्श्वनाथ जैन धर्म के 23वें तीर्थकर थे, जबकि महावीर स्वामी 24वें एवं अंतिम तीर्थकर थे।
Q.2.महावीर ने ……….. में निर्वाण प्राप्त किया था?
महावीर के जन्म एवं मृत्यु से संबंधित तिथियों में विवाद है एक तिथि के अनुसार, महावीर का जन्म 599 ई.पू. में एवं मृत्यु 527 ई.पू. में जबकि दूसरी तिथि के अनुसार, जन्म 540 ई.पू. में एवं मृत्यु 468 ई.पू. में मानी जाती है। इन दोनों तिथियों में प्रथम तिथि अधिक मान्य है।
Q.3.निम्नलिखित में से कौन जैन धर्म के असली संस्थापक माने जाते हैं ?
वर्धमान महावीर जैनियों के 24वें तीर्थकर एवं जैन धर्म के वास्तविक संस्थापक माने जाते हैं। उन्होंने पार्श्वनाथ के चार जैन सिद्धांतों (सत्य, अस्तेय, अहिंसा, अपरिग्रह) में अपना पांचवां सिद्धांत ‘ब्रह्मचर्य जोड़ा। इनका जन्म कुंडलग्राम में ज्ञातृक क्षत्रिय कुल में हुआ था।
Q.4.महावीर का जन्म कहां हुआ था?
महावीर का जन्म ई.पू. 599 के लगभग वैशाली के निकट कुंडलग्राम में हुआ।
Q.5.जैनवाद में पूर्ण ज्ञान को निम्न रूप में उल्लिखित किया गया-
जैनवाद में पूर्ण ज्ञान को ‘कैवल्य’ की संज्ञा दी गई है। महावीर के विषय में कहा गया है कि 12 वर्षों की कठोर तपस्या व साधना के पश्चात जृम्भिक ग्राम के समीप ऋजुपालिका नदी के तट पर एक साल वृक्ष के नीचे कठोर तप के उपरांत उन्हें ‘कैवल्य’ प्राप्त हुआ। कैवल्य प्राप्ति के पश्चात वे केवलिन’, ‘जिन’, ‘अर्हत’ तथा ‘निर्ग्रन्थ’ कहलाए।
Q.6.बुद्धवाद और जैनवाद आंदोलन आवश्यक रूप से निम्नलिखित के विरुद्ध थे
बुद्धवाद और जैनवाद अनीश्वरवादी धर्म थे। इन्होंने ब्राह्मणों के रीति-रिवाजों एवं कर्मकाण्डों का विरोध किया था। इनके अनुसार, ब्राह्मणों के कर्मकाण्ड और यज्ञ एक जीर्ण नाव के समान है, जो संसार सागर से मनुष्य को पार नहीं ले जा सकती
Q.7.महावीर एवं बुद्ध दोनों ने किसके शासनकाल में उपदेश दिया?
महावीर एवं बुद्ध ने मगध नरेश बिम्बिसार के शासनकाल में उपदेश दिया। महावीर स्वामी और बिम्बिसार निकट संबंधी भी थे, क्योंकि महावीर की माता त्रिशला या विदेहदत्ता लिच्छवि शासक चेटक की बहन थीं तथा बिम्बिसार का विवाह चेटक की पुत्री से हुआ था। बिम्बिसार ने बुद्ध के निवास के लिए ‘वेलुवन’ नामक विहार बनवाया था।
Q.8.दक्षिण भारत में प्रसिद्ध जैन केंद्र स्थित है
दक्षिण भारत में प्रसिद्ध जैन केंद्र कर्नाटक में मैसूर स्थित श्रवणबेलगोला है, यहां कोटेश्वर की मूर्ति चामुंडा राय ने बनाई है
Q.9.जैन साहित्य को क्या कहते हैं?
जैन साहित्य को आगम (सिद्धांत) कहा जाता है के अंतर्गत 12 अंग आते हैं
Q.10.प्राचीन भारत का प्रसिद्ध वह शासक कौन था जिसने अपने जीवन के अंतिम दिनों में जैन धर्म अपना लिया था?
चंद्रगुप्त मौर्य ने अपने जीवन के अंतिम दिनों में जैन धर्म अपना लिया था उसने जैन साधु भद्रबाहु से जैन धर्म की दीक्षा लेकर श्रवणबेलगोला स्थित चंद्र गिरी पहाड़ी पर 298 ईसा पूर्व में उपवास द्वारा अपना शरीर त्याग दिया
Q.11.इच्छा सब कष्टों का कारण है इसका प्रचार करने वाला धर्म कौन सा है?
इच्छा सब कष्टों का कारण है इसका प्रचार करने वाला धर्म बौद्ध धर्म है
Q.12.वर्तमान महावीर ने कौन सी भाषा में अपने शिक्षा दी?
वर्धमान महावीर ने प्राकृत भाषा में शिक्षा दी
Q13. प्रथम जैन सभा का आयोजन कहां हुआ था?
प्रथम जैन सभा का आयोजन 300 ईसापुर पाटलिपुत्र में हुआ, इसकी अध्यक्षता स्थूलभद्र ने की
Q.14.महावीर की माता का नाम क्या था?
महावीर की माता का नाम त्रिशला लिक्षवी राजा चेटक की बहन थी
Q.15.महावीर के बचपन का नाम क्या था?
महावीर के बचपन का नाम वर्धमान था
Q.16वर्तमान महावीर और किस नाम से विख्यात है?
वर्तमान महावीर को चयन नाम से भी जाना जाता है जेना का मूल अर्थ है विजेता
Q.17.तिब्बत में बौद्ध धर्म का प्रचार करने वाला बौद्ध भिक्षु कौन थे?
तिब्बती बौद्ध धर्म के इतिहास में महत्वपूर्ण अध्याय में आठवीं शताब्दी में बौद्ध मुनी महा पद संभव का आगमन शामिल है बौद्ध ग्रंथों का तिब्बती भाषा में अनुवाद किया संभव ने कई बौद्ध ग्रंथों का तिब्बती भाषा में अनुवाद किया और तांत्रिक बौद्ध परंपरा को स्थानीय बौद्ध धर्म से भी लेकर दीप्ति बौद्ध धर्म को बढ़ावा दिया
Q.18.महावीर का प्रथम शिष्य कौन था?
महावीर के प्रथम शिष्य जमाली( महावीर भगवान )के दमाद थे इसके अतिरिक्त उन्होंने पावा में 11 ब्राह्मणों को जैन धर्म में दीक्षित किया जो प्रथम अनुयाई माने जाते हैं
Q.19.''बुद्ध'' शब्द का अर्थ है?
बुद्ध अर्थ है किसी को जगाना या किसी को प्रबुद्ध दिया ज्ञान संपन्न करना युग में पहली बार सब को जागरूक करने के लिए बहुत शब्द का प्रयोग एक शीर्षक के रूप में भी किया जाता है
Q.20.''सत्यमेव जयते '' शब्द किस उपनिषद से लिया गया है?
सत्यमेव जयते प्राचीन भारतीय ग्रंथ मुंडक उपनिषद से लिया गया एक मंत्र है भारत की स्वतंत्रता के बाद इसे राष्ट्रीय आदर्श वाक्य के रूप में ग्रहण किया गया था
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