अभिलेख, जो प्राचीन राजस्थान में भागवत संप्रदाय के प्रभाव की पुष्टि करता है
घोसुंडी अभिलेख (द्वितीय शताब्दी ईसा पूर्व का) चित्तौड़गढ़ से प्राप्त हुआ है, इस अभिलेख की संस्कृत भाषा व ब्राह्मी लिपि है । इसमें भागवत धर्म का प्रचार, वासुदेव की मान्यता व अश्वमेध यज्ञ का प्रचलन बताया गया है
पोथीखाना संग्रहालय स्थित है
पोथी खाना: जयपुर महाराजा का निजी पुस्तकालय एवं चित्रकला संग्रहालय
पोथी खाना जयपुर, पुस्तक प्रकाशन जोधपुर एवं सरस्वती भंडार उदयपुर में समृद्ध साहित्य उपलब्ध है जो न केवल राजस्थान को बल्कि भारत को भी समृद्ध बनाए हुए हैं, संबंधित है
कीर्ति स्तंभ प्रशस्ति के रचयिता थे
कीर्ति स्तंभ प्रशस्ति लेख 1460 ईस्वी चित्तौड़गढ़ के कीर्ति स्तंभ की शिलाओ पर अंकित है । इसके कवि अत्रि थे लेकिन निधन के कारण इसको पूरा महेश भट्ट ने किया
वह कौन सा अभिलेख है जो महाराणा कुंभा के लेखन पर प्रकाश डालता है
कीर्ति स्तंभ प्रशस्ति लेख में राणा कुंभा की उपलब्धियों व उनके द्वारा रचित ग्रंथों का वर्णन मिलता है । इस प्रशस्ति में चंडी शतक, गीत गोविंद का टीका, संगीत राज आदि प्रमुख ग्रंथों का उल्लेख मिलता है । इस प्रशस्ति में कुंभा को महाराजाधिराज, अभिनव भरताचार्य, हिंदू सुरताण, रायरायन, रानो रासो, छाप गुरु, दान गुरु, राजगुरु, शैल गुरु उपाधियों से पुकारा गया है
सवाई रामसिंह ने राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट्स की स्थापना किस वर्ष की थी
राजस्थान सरकार द्वारा प्रकाशित कैलेंडर में विक्रम संवत, शाके एवं इसवी सन में दिया हुआ होता है यदि विक्रम संवत 2063 हो तो शाके होगा
विक्रम संवत से 78 वर्ष बाद इस इस्वी संवत् प्रारंभ हुआ और इस्वी संवत् से 57 वर्ष बाद शक संवत प्रारंभ हुआ . 2063-78-57 = 1928
अधिकांश सांस्कृतिक गतिविधियां जयपुर में संपन्न होती है
जवाहर कला केंद्र प्रारंभिक व विलुप्त होती जा रही कलाओं की खोज सरंक्षण एवं संवर्धन करने के लिए 1993 में स्थापित किया गया । वास्तुकार चार्ल्स कोरिया
17 वीं शताब्दी की रचना राज प्रशस्ति महाकाव्य के रचयिता है
राज प्रशस्ति 1676 ईसवी राजसमंद: विश्व की सबसे बड़ी प्रशस्ति रणछोड़ भट्ट द्वारा मेवाड़ महाराणा राज सिंह के आदेश से राजसमंद झील की नो चोकी पाल पर 25 काले पत्थर की बड़ी-बड़ी शीला पर संस्कृत में 25 सर्गो में उत्कीर्ण है
श्री सरस्वती पुस्तकालय जो अलभ्य एंव दुर्लभ साहित्य का अप्रितम खजाना है, स्थित है
आज के राजस्थान को 19वीं शताब्दी में राजपूताना नाम किसने दिया था
1800 ईसवी में जॉर्ज थॉमस द्वारा राजपूताना नाम से उल्लेखित और 1829 ईस्वी में इतिहास लिखते समय कर्नल जेम्स टॉड द्वारा राजस्थान शब्द की संज्ञा दी गई
अंग्रेजों के समय में राजस्थान को किस नाम से जाना जाता था
राज्य की प्रारंभिक एवं विलुप्त हो रही कलाओं को संरक्षण देने और उनका समन्वित विकास करने के लिए कौन से संस्थान की स्थापना की गई
भारतीय लोक कला मंडल 1952 में उदयपुर
शेखावाटी क्षेत्र की कला संपदा के संरक्षण हेतु जून 2006 को राजकीय संग्रहालय की स्थापना की गई
सीकर में शेखावाटी क्षेत्र की कला संपदा के संरक्षण हेतु 28 जून 2006 को राजकीय संग्रहालय की स्थापना की गई
झाड़शाही सिक्का कौन सी रियासत में प्रचलित था
19वीं शताब्दी का प्रथम इतिहासकार जिस ने राजस्थान की सामंतवादी व्यवस्था के बारे में लिखा, वह कौन था
इंग्लैंड निवासी कर्नल जेम्स टॉड अट्ठारह सौ ईस्वी में भारत आए और 1817 ईस्वी में कुछ रियासतों (पश्चिमी राजपूत स्टेटस) के पोलिटिकल एजेंट बनकर उदयपुर आए । कर्नल जेम्स टॉड की पुस्तक "एनल्स एंड एंटीक्विटीज ऑफ राजस्थान" और "द सेंट्रल एंड वेस्टर्न राजपूत स्टेट ऑफ इंडिया"
एनल्स एंड एंटीक्विटीज ऑफ राजस्थान के लेखक लेफ्टिनेंट कर्नल जेम्स टॉड पोलिटिकल एजेंट कहां के थे
राजस्थान के विख्यात इतिहासकार जो एक समाज सुधारक भी थे
अंग्रेजी शासन में बाल विवाह निषेध कानून बनवाने वाले हरविलास शारदा का जन्म 1867 में अजमेर में हुआ ।
रूपायन संस्थान जोधपुर का मुख्य कार्य है
रूपायन संस्थान जोधपुर स्थापना 1960 में
ऐतिहासिक परमाण, दस्तावेजों, पत्रों, मुगल परमाणु एवं हस्त चित्रित तस्वीरों के एल्बम के अध्ययन हेतु संग्रहण स्थित है
राजस्थान राज्य अभिलेखागार संस्था की स्थापना 1955 में की गई ।
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